कुमावत एक भारतीय हिन्दू जाति है, जिसका परम्परागत कार्य भवन (स्थापत्य) निर्माण हैं। दुर्ग, क़िले, मंदिर इत्यादि के निर्माण व मुख्य चित्रकारी का काम कुमावत समाज के लोगों द्वारा ही जाता था। कुछ लोग अज्ञानतावश कुमावत और कुम्हार (प्रजापत) को एक ही समझ लेते है, लेकिन दोनों अलग - अलग जातियां है।
मावत ( Kumawat ) शब्द होने से इसी पर विस्तार पर बताने जा रहा हूँ की कुम्हार समुदाय में कुमावत शब्द की शुरूआत कैसे हुई। इसी प्रकार कुमावत का भी अर्थ होता है कुम्हार के वत्स या अनुयायी। कुछ लोग अपने मन से कु मा वत जैसे मन माने सन्धि विच्छेद करते है और मनमाने अर्थ देते है।
कुम्हार के काम के प्रति निष्ठा देख ब्रह्मा जी ने उसे प्रजापति नाम से पुरस्कृत किया। परंतु कुछ लोगो का मत है कि कुम्हारों के पारंपरिक मिट्टी से बर्तन बनाने की रचनात्मक कला को सम्मान देने हेतु उन्हे प्रजापति कहा गया।
कुमावत समाज एक भारतीय जाति है, जो कुछ भागों में राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात और पूर्वी उत्तर प्रदेश में पायी जाती है।
कुमावत समाज की मूल स्थान अनिश्चित है, लेकिन अधिकांश व्यापारी विविध भागों में स्थानों पर होने वाले स्थानों में हैं।
कुमावत समाज की उत्पत्ति का विशेष काल नहीं माना जाता है, लेकिन उनके पूर्वजों के दौरान वे प्राचीन समय से हैं।
कुमावत समाज के सम्बन्धित राज्य राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र हैं।